Indicators on hindi kahani story You Should Know
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hindi kahaniyan
यह होती है कि इन्हें एक ही साथ कई घंटों और दिनों तक सुना जा सकता है। जिन्हें
बूढ़े माता पिता का सम्मान दिल को छूने वाली कहानी
जिन्होंने अनेक यथार्थवादी कहानियाँ लिखी । साहित्य समीक्षकों ने इन्हीं कहानियों
में आयी इसका यहाँ पर विस्तृत विवेचन किया गया है। यह विधा वर्तमान में पूर्ण रूप
पर व्यंग्य तथा उपहार करती हुई अनेक, कहानियाँ लिखी गई, इन कहानियों में हरिशंकर परसाई की निठल्ले की डायरी, 'सड़क बन हरी है', 'पोस्टर एकता', शरद जोशी की 'रोटी और घण्टी का
लड़के पर जवानी आती देख जब्बार के बाप ने पड़ोस के गाँव में एक लड़की तजवीज़ कर ली। लेकिन जब्बार ने हस्बा की लड़की शब्बू को जो पानी भर कर लौटते देखा, तो उसकी सुध-बुध जाती रही। जैसे कथा कहानी में कहा जाता है कि शाहज़ादा नदी में बहता हुआ सोने का एक बाल यशपाल
तब मैं न तो इतनी लंबी थी, न इतनी चौड़ी। कमलाकांत वर्मा
घिल्डियाल पहाड़ी पंडित ज्वालाप्रसाद शर्मा, श्री गंगाप्रसाद श्रीवास्तव आदि का नाम बड़े आदर से लिया
वर्तमान के समालोचक इसे आधुनिक हिन्दी कहानी के स्वरूप और कथ्य से भिन्न मानते
कहानी लेखकों ने विदेशी और बंगला कहानियों के प्रभाव में आकर हिन्दी भाषा में भी
चीनी के खिलौने, पैसे में दो; खेल लो, खिला लो, टूट जाए तो खा लो—पैसे में दो। सुरीली आवाज में यह कहता हुआ खिलौनेवाला एक छोटी-सी घंटी बजा रहा था। उसको आवाज सुनते ही त्रिवेणी बोल, उठी—माँ, पैसा दो, खिलौना लूँगी। आज पैसा नहीं है, बेटी। एक पैसा माँ, हाथ विनोदशंकर व्यास
है, रहमान का बेटा, ठेका, जज का फैसला' गृहस्थी मेरा
चिट्ठी-डाकिए ने दरवाज़े पर दस्तक दी तो नन्हों सहुआइन ने दाल की बटली पर यों कलछी मारी जैसे सारा कसूर बटुली का ही है। हल्दी से रँगे हाथ में कलछी पकड़े वे रसोई से बाहर आई और ग़ुस्से के मारे जली-भुनी, दो का एक डग मारती ड्योढ़ी के पास पहुँची। “कौन है रे!” शिवप्रसाद सिंह
मूर्ख बगुला और नेवला : पंचतंत्र की कहानी